अपने सुरक्षित भविष्य को लेकर चिंतित माध्यमिक अतिथि शिक्षक संगठन आखिरकार आंदोलन के लिए लामबंद हो गया है। माध्यमिक अतिथि शिक्षक संगठन उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष राजेश धामी ने कहा की अतिथि शिक्षक विगत 10 सालों से राज्य के दुर्गम अति दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत है। सरकार तथा विभागीय अधिकारियों द्वारा अतिथि शिक्षको को हर बार कोरे आश्वासन दिए गए जिससे दुर्गम अति दुर्गम विद्यालयों मे तैनात अतिथि शिक्षकों के मनोबल में विपरीत असर पड़ा है। विगत वर्ष 14 दिन किए गए आंदोलन के बाद शासन द्वारा अतिथि शिक्षकों दो माह में न्यायसंगत मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया था। परंतु आज एक वर्ष बीत जाने के उपरांत उन बिंदुओं पर कोई भी सकारात्मक पहल न होने के कारण अतिथि शिक्षक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। आम अतिथि शिक्षकों मे बढते रोष को देखते हुए प्रांतीय कार्यकारिणी ने एकमत होकर निर्णय लिया है कि पूरे प्रदेश में चरणबद्ध आदोंलन आरंभ किए जायेगे। उक्त के दृष्टिगत नियोजित मांग पूरी न होने यथा मानदेय वृद्धि, पद सुरक्षित, गृह जनपद, मंडल परिवर्तन, प्रभावित अतिथि शिक्षकों का समायोजन पर शासनादेश जारी न होने की स्थिति में 1 अगस्त 2025 से प्रदेश भर के अतिथि शिक्षक विद्यालय में अपने अनुबंधित मूल शैक्षिक विषय के अतिरिक्त अन्य कोई भी शैक्षिक विषय का अध्यापन नहीं करेंगे, एवं सभी गैर शैक्षणिक कार्यो मे किसी प्रकार का सहयोग नही करेंगे। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन एवं विभाग की रहेगी।प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रदीप सिंह असवाल ने बताया कि शासनादेशों कि अस्पष्टता ने अतिथि शिक्षकों, विद्यालयों को अत्यधिक दुविधा मे डाल रखा है। जिसके चलते अलग-अलग विद्यालयों मे अलग अलग नियम देखने को मिल रहे। विगत वर्ष विभाग द्वारा दिए गए आश्वासन पूर्ण ना होने से अतिथि शिक्षक आहत है। जिसके चलते मजबूरन अतिथि शिक्षक चरणबद्ध आदोंलन की राह पर अग्रसर है। चरणबद्ध आदोंलन के प्रथम चरण मे प्रदेश मे अतिथि शिक्षक- शिक्षिकाओं ने सुरक्षित भविष्य विरोधी शासनादेश की प्रति को आग के हवाले किया। और जब तक भविष्य सुरक्षित नही हो जाता अनुबंधित शैक्षणिक विषय के अतिरिक्त गैर- शैक्षणिक कार्यो का बहिष्कार किया है।

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