जीवनसाथी चुनना हर इंसान के जीवन का सबसे अहम फैसला होता है। प्यार, विश्वास और साथ की यही वह नींव है, जिस पर जीवन की इमारत खड़ी होती है। लेकिन जब बात दिव्यांगजनों की आती है, तो यह सफर चुनौतीपूर्ण हो जाता है। समाज के पूर्वाग्रह और सोच के कारण बहुत से लोग दिव्यांग साथी के साथ जीवन बिताने को तैयार नहीं होते। ऐसे में कई दिव्यांगजन जीवनसाथी चुनने की प्रक्रिया में असहज महसूस करते हैं।उत्तराखंड सरकार ने इस मुश्किल को आसान बनाने और दिव्यांगजनों को प्रोत्साहित करने के लिए एक सराहनीय पहल की है। अब दिव्यांग युवक या युवती से विवाह करने या दिव्यांग से दिव्यांग के शादी करने पर दंपति को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक सहारा देना नहीं है, बल्कि समाज को यह संदेश देना है कि हर इंसान को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, चाहे वह दिव्यांग हो या सामान्य। यह सहायता राशि सम्मान और स्वीकृति बढ़ाने का प्रतीक है, ताकि दिव्यांगजन भी बिना भेदभाव के अपने जीवन की नई शुरुआत कर सकें। इस फैसले को बीते मंगलवार को हुई धामी कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिल चुकी है। पहले यह राशि 25,000 रुपये थी, जिसे बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है।देहरादून निवासी दिव्यांग गौरव कुमार बचपन से ही चल-फिर नहीं सकते, उन्होंने सरकार की इस पहल की सराहना की है। उनका कहना है कि “एक सामान्य व्यक्ति और दिव्यांग व्यक्ति के जीवन में बहुत अंतर होता है। हमें हर कदम पर संघर्ष करना पड़ता है। सरकार का दिव्यांगों के प्रति यह कदम बहुत ही सराहनीय है, लेकिन अगर रोजगार के अवसर भी बढ़ाए जाएं तो हमारा जीवन और आसान हो जाएगा। महंगाई और दवाई के खर्चों के बीच अक्सर दिव्यांग व्यक्ति को हमेशा दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।देहरादून के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपक घिल्डियाल ने बताया कि उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। इस योजना के तहत कुछ शर्तें तय की गई हैं— जैसे कि लड़का या लड़की कम से कम 40% दिव्यांग होना चाहिए। यह उनकी पहली शादी होनी चाहिए। मासिक आय 4 हजार रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। आवेदन के लिए आधार कार्ड, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, दिव्यांग प्रमाणपत्र और यूडीआईडी कार्ड जरूरी होंगे।

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