10 अक्टूबर को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में नोबेल प्राइज का ऐलान किया गया। इस पुरस्कार के लिए 338 उम्मीवार थे। जिसमें से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम काफी सुर्खियों में था।कई बार वो खुद ही नोबेल प्राइज को लेकर अपनी दावेदारी कर चुके थे। क्योंकि उनके अनुसार उन्होंने कई सारी वॉर रुकवाई है। जिसमें से भारत-पाकिस्तान वॉर भी शामिल है। हालांकि ट्रंप का ये सपना अधूरा रह गया। उनकी जगह ये पुरस्कार मारिया कोरीना मचाडो(Nobel Peace Prize Winner maria corina machado) को दिया गया है।मारिया कोरीना मचाडो को ये शांति पुरस्कार वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है।नोबेल प्राइज के ऐलान के समय कमेटी ने कहा कि हमेशा से ही उन्होंने बहादुर लोगों का सम्मान किया है। वो लोग जिन्होंने दमन के खिलाफ खड़े होकर आजादी की किरण कायम रखी है। कमेटी ने बताया कि बीते साल मचाडो को अपनी जान बचाने के लिए छिपकर रहना पड़ा था। लेकिन उसके बावजूद उन्होंन देश में ही रहना चुना।बताते चलें कि मारिया कोरिना माचाडो 7 अक्टूबर 1967 को वेनेजुएला की राजधानी कराकस में जन्मी थी। एंड्रेस बेलो कैथोलिक यूनिवर्सिटी से उन्होंने औद्योगिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। साथ ही इंस्टिट्यूटो डी एस्टुडीओस सुपीरियोर्स दे एडमिनिस्ट्रासियन से वित्त में ग्रेजुएशन किया।बताते चलें कि ट्रंप को नोबेल प्राइज के लिए आठ देशों ने नॉमिनेट किया था। जिसमें पाकिस्तान के अलावा इजराइल, अमेरिका, आर्मेनिया, अजरबैजान, माल्टा, कंबोडिया जैसे देश शामिल है। नोबेल प्राइज की बात करें तो हर साल एक फरवरी से इसके नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जाती है। उसी दिन तक मिले नाम ही वेद्य माने जाते है। इस साल नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2025 थी।